लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
प्रिय सखी।
कैसी हो।अब मैं ठीक हूं।अब ये नही पूछोगी कि कल मै क्यों नही आयी।पता है कल मेरा मन ठीक नही था।कल पड़ोस मे एक घटना घटित हो गयी।
मेरी पड़ोसन मेरी पक्की सहेली है। बेचारी एक किराना दुकान चलाती है ।सारे घर का काम करके वो दुकान खोलती है सारे घर की जिम्मेदारी उसी पर है पति कोई हेल्प नही करता उल्टा बात बेबात उसे पीटता रहता है पीछले चार दिनों से मुझे ये लग रहा था कि उसका पति उसे पीट रहा है।कल तो हद ही हो गयी ।उसपर चोरी का इल्ज़ाम लगा कर सास और पति ने घर से निकाल दिया। बेचारी मेरे पास आयी एक बेटा रख लिया उन्होंने ।एक वो साथ ले आयी। मैंने उससे कहा अब क्या करोगी।तो बोली ,"दीदी ! मुझे कुछ समझ नही आ रहा। मैंने कहा तुम शांति से रहो तुम्हारे पति आयेंगे तो मैं बात करुंगी।वो मुझे कह ही रही थी दीदी ये लोग मेरे बगैर एक रात नही निकाल सकते देखना सुबह ही आ जाएंगे आप के दरवाजे।और वो ही बात बनी।सुबह सुबह ही वो महाशय आकर मुझसे बोले ,"दीदी!जरा भेज दो उसे।"मैने कहा कि ये क्या तमाशा लगा रखा है आप ने कभी चोरी का इल्ज़ाम लगा कर उसे बाहर निकालते हो कभी बुलाने आते हो।उसने जो बात कही मै सनन रह गयी।बोले,"दीदी मै क्या करूं अगर इसे कुछ ना बोलूं तो मां मुझे जोरू का गुलाम कहती है सारा दिन ताने देती है तू इसे कुछ नही कहता अब मैं तंग आकर इसे ही पीटता हूं मां को तो मै कुछ कह नही सकता।मै भी सोच रही थी कि क्या सास कभी समझेगी नही कि वो भी कभी बहू थी।अब बस समय कम है चलती हूं अलविदा।
Pratikhya Priyadarshini
30-Nov-2022 11:27 PM
बेहतरीन रचना....👌🌺🌸
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